देहरादून: प्रदेश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोलने वाले सुराज सेवादल ने एमडीडीए देहरादून में तैनात अधिकारी हरिश्चंद्र राणा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन का आरोप है कि 8 साल से एमडीडीए और इससे पहले एचआरडीए में तैनात रहे हरिश्चंद्र सिंह राणा ने अपने बेटे-बहु समेत अन्य रिश्तेदारों के नाम से अकूत संपत्ति अर्जित की है। सवाल भी उठाया है कि सरकारी वेबसाइट में दर्शाई गई राणा की संपत्ति को लेकर अधिकारी आंख मूंदकर क्यों बैठे रहे। ईडी से जांच क्यों नहीं कराई गई। भाजपा सरकार के मंत्री आखिरकार राणा पर क्यों मेहरबान है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शिकायत के साथ सुबूत के रूप में फर्म, ट्रस्ट व संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भेज कर कार्रवाई की मांग उठाई गई है। ऐसा न होने पर प्रदेश व्यापारी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी सुराज सेवादल ने दी है।
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मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए सूराज सेवादल के अध्यक्ष रमेश जोशी ने बताया कि आवास विभाग में लगातार केवल हरिद्वार और देहरादून में अपनी सेवाएं दे रहे हरिश्चंद्र सिंह राणा ने सरकार की वेबसाइड में जो संपत्ति दरसाई है, क्या कभी सरकार में बैठे अधिकारियों में इस पर ध्यान दिया कि इतनी संपत्ति हरिश्चंद्र सिंह राणा व उनके परिजनों के पास कैसे आई..? क्यों उनकी ईडी की जांच नहीं की जा रही..? क्यों उनके काले कारनामों को छुपाए जा रहा..? क्यों बीजेपी की सरकार में मंत्री उनके ऊपर मेहरबान है…? अगर कोई व्यक्ति सरकार या सरकार के नीति निर्माता को अवगत कराता है तो क्यों उन लोगों पर ब्लैकमेलिंग का मुकदमा पंजीकृत किया जाता है…?
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रमेश जोशी ने शिकायत के साथ दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बताया कि हरिश्चंद्र सिंह राणा के पुत्र सुमित राणा वह उनकी पुत्रवधू हिमानी राणा वाइफ ऑफ ने एक फर्म टिहरी हाउस प्राइवेट लिमिटेड के नाम बनाई। जिसमें जमीन खरीद फरोख्त के कारोबार किए गए हैं। मैं पूछना चाहता हूं 4 मई 2022 को टिहरी हाउस प्राइवेट लिमिटेड बनी। इसके डायरेक्टर सुमित व हिमानी राणा है। एक हफ्ते में इन्होंने ऐसा इस फार्म से क्या कारोबार कर लिया कि बैंक ने करोड़ों रुपए का लोन दे दिया। जबकि गरीब और मध्यम वर्ग की आदमी धक्के खाता रहता है तब भी लोन नहीं होता। एक हफ्ते में टिहरी हाउस प्राइवेट लिमिटेड के नाम अवैध कॉलोनी में फन्नास वैली के ऊपर डाक पट्टी में 11 मई को 1104 वर्ग मीटर, 1606 वर्ग मीटर, 1650 वर्ग मीटर की तीन रजिस्ट्री हुई। जिसकी कीमत 2 करोड रुपए दिखाई गई। जबकि बजारों कीमत लगभग 10 करोड रुपए होगी। हथेड़ी गांव में 1601902 वर्ग मीटर टिहरी हाउस प्राइवेट लिमिटेड के नाम 24 मई 2022 को एक और प्रॉपर्टी ली गई। वह भी अवैध कॉलोनी में उसकी बाजारी कीमत भी लगभग 20 से 25 करोड रुपए होगी। इन कॉलोनियों के निर्माण में इतने पहाड़ कट गए। किसी कॉलोनी के ध्वस्तीकरण के आदेश हुए..? एक इंटरव्यू में सुराज सेवा दल के अध्यक्ष रमेश जोशी ने हरिश्चंद्र राणा से पूछा कि क्या आपके या आपके परिजनों को अवैध कॉलोनी में प्लॉट लेने चाहिए तो आपका उत्तर था कि नहीं लेने चाहिए। फिर आपने अपने बेटे व बहू की कंपनी में अवैध कॉलोनी में कैसे प्लॉट दिला दिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपको ऑब्लाइज किए गए हो। सरकार से कि अगर यह कॉलोनी अप्रूव्ड की गई होती तो सरकार के राजस्व में कितना राजस्व आता। क्या ये वित्तीय अनियमितता नहीं है। गरीब आदमी 1000 फीट व 100 गज में मकान बनाता है तो बिना नक्शे के उसकी सील कर दिया जाता है पर अमीर आदमी इतने काले कारनामें करता है और उसे पर कोई कार्रवाई नहीं होती। क्या यही है भाजपा की जीरो टॉलरेंस सरकार। अवैध कॉलोनी में उनके बेटे बहु जमीन खरीद फरोख्त करते हैं, बताएं एमडीडीए वीसी, शहरी विकास मंत्री आखिरकार अपने 8 वर्षों से क्यों राणा को एमडीडीए में रोके हुए हैं। एक और नेक्सस जिसे अधिकारियों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया, या जानबूझकर अनजान बन रहे हैं। मनीषा राणा जो कि हरिश्चंद्र सिंह राणा की सुपुत्री हैं, उन्होंने महानंद शर्मा को एक प्लॉट बेचा गया और उसी दिन उनके पुत्र सुमित राणा ने उस प्लॉट को खरीद लिया गया। आखिरकार डायरेक्ट बहन ने भाई को प्लॉट क्यों नहीं बेचा ?क्या ऑडिट रिपोर्ट को या इनकम टैक्स को मूर्ख बनाने का कार्य नहीं है? क्या आप सरकार के साथ आंख मिचौली का खेल नहीं खेल रहे हैं..? एक और महत्वपूर्ण बात एक ट्रस्ट पंचवटी सोशल ट्रस्ट के नाम से राणा के घर के पते पर रजिस्टर्ड है। उसकी जांच होना बहुत जरूरी है कि ट्रस्ट की सच्चाई क्या है, कौन-कौन उसके सदस्य हैं उनका क्या-क्या कारोबार है। क्योंकि राणा के पुत्र ने 7170 वर्ग मीटर जिसकी बाजारी कीमत लगभग 100 से 200 करोड रुपए होगी। उसका एग्रीमेंट कर रखा है। आखिर ऐसा क्या किया राणा और उनके परिजनों ने। रमेश जोशी ने कहा कि यादव नाम की एक महिला अधिकारी जब एचआरडीए में तैनात थी, उस दौरान राणा भी एचआरडी में थे। ऐसा क्या मामला है कि जिस चीज की कंपनी महिला अधिकारी के भाई की थी, उसी चीज की कंपनी राणा जी के बेटे की है। आखिरकार इन कंपनियों में ऐसा क्या है। इन दोनों के हरिद्वार रहते सारे नक्शे कंपाउंड हुए। उनके द्वारा किए गए टेंडर की सीबीआई जांच कराना आवश्यक है। अगर सरकार ने तत्काल प्रभाव से एक्शन नहीं लिया गया तो देशव्यापी आंदोलन करने को सुराज सेवा दल मजबूर होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्री व उपाध्यक्ष एमडीडीए की होगी।