आबादी से घिर गया पांचवा शेर, बदहाली पर बहा रहा आंसू..
पांचवे शेर को भूल गया प्रशासन, न मरमत न रखरखाव, हादसे का सबब भी बन सकता है शेर..
खबर तक
रुड़की: रुड़की में आबादी से घिर गया अंग्रेज अफसर का पांचवा शेर,, जी हां अंग्रेजी शासनकाल मे बनाए गए रुड़की गंगनहर पर पांच शेर जिनमे से एक शेर अब आबादी से घिर चुका है। भले ही इस शेर की वजह से इस बस्ती को शेर कोठी के नाम से जाना जाता हो, लेकिन इस पत्थर के शेर की किसी को कोई चिंता नही। उत्तराखण्ड और उत्तरप्रदेश की लाइफ लाइन कही जाने वाली गंगनहर बनाने के दौरान इन शेरो को भी बनाया गया था, जिनमें दो मेहवड गंगनहर पुल पर बनाए गए है और दो रुड़की गंगनहर पर,, लेकिन ये बहुत कम लोग जानते है कि इन शेरो की संख्या चार नही पांच है क्योंकि इनमें से एक शेर अब आबादी से घिर चुका है। अंग्रेज अफसर पीटी कर्नल कोठले ने ये कभी नही सोचा होगा कि अगली शताब्दी में उसका शेर आबादी से घिर जाएगा। गंगनहर के खतरे से आगाह करने वाला कर्नल कोठली का ये शेर आज ना सिर्फ रिहायशी बस्ती के बीचों बीच आ गया है बल्कि बदहाली का भी शिकार हुआ है। ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण का दावा करने वाली प्रदेश व केंद्र सरकार की नजर से कोसो दूर ये शेर आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
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गंगनहर खुदाई के दौरान बनाए गए थे शेर….
आपको बता से की ब्रिटिश हुकूमत के समय 1847 में अंग्रेज़ अफसर पी.टी. कोठले के नेतृत्व में पुरानी गंगनहर का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था। गंगनहर निर्माण के दौरान सबसे बड़ी बाधा सोलानी नदी को पार करना था। जिसको लेकर नहर निकालने में कठिनाइयां आरही थी। 1847 में बिर्टिश गवर्नर जर्नल सर हैनरी हार्डिंग ने सोलानी नदी के ऊपर से गंगनहर को निकालने की क्लीन चिट दी थी। नहर निर्माण के दौरान कलियर के मेहवड पुल से लेकर रूड़की तक लगभग 4 किमी से अधिक का ये क्षेत्र डेंजर जॉन मानते हुए पीटी कोटले ने मेहवड पुल और रुड़की पुल पर अद्भुत आकृति वाले चार शेर बनाए थे, जो आमजन को गंगनहर के खतरे से आगाह करने का संकेत देने के मक़सद से बनवाए गए थे। इन ऐतिहासिक शेरो को आज भी स्वाभिमान और आत्मविश्वास के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
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नमूने के तौर पर बनवाया गया था शेर…..
इतिहासकारों की माने तो अंग्रेज अफ़सर कर्नल कोठले ने अपने निवास पर एक नमूने के तौर पर शेर बनवाया था जिसके बाद ही गंगनहर पर चार शेरो का निर्माण कराया गया। कर्नल कोठले द्वारा बनाया गया शेर आज बदहाली का शिकार है। स्थानीय प्रशासन और शासन का इस तरफ कोई ध्यान नही है। बताया जाता है कि पूरे विश्व मे इस तरह के शेर और कही नही है मात्र लन्दन में काले शेर इन्ही को देखते हुए बनाए गए थे।
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खतरे से आगाह करते है शेर…..
हरिद्वार से आने वाले यात्रियों को मेहवड पुल पर बने दो शेर गंगनहर के खतरे से आगाह करते थे और रूड़की के दो शेर सफल यात्रा का संकेत देते थे। जो आज भी स्थापित है। आबादी से घिरा कर्नल कोटले का पांचवा शेर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।