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लक्सर (फरमान खान) क्या बात हुई क्या गरज पड़ी, ये रंग-ए-जहां बदला कैसा मगरूरों का मजलूमों में सर रखना कैसा हिंदू कैसा, मुस्लिम कैसा, ब्राह्मण कैसा, बनिया कैसा हम वोट शाहनवाज को देंगे, हम वोट शाहनवाज को देंगे’आजादी के बाद सन् 1952 में जब देश में लोकतंत्र की कोपलें फूट रहीं थीं तो भारत माता के सिपेहसालार जनरल शाहनवाज खान को मेरठ ने सिर आंखों पर बिठाया। पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जनरल शाहनवाज खान मेरठ के पहले सांसद बने। शहरवासियों की मोहब्बत के चलते वह 1952 से 1971 तक लगातार चार बार सांसद चुने गए। जिस शहर की गली-गली में कभी शाहनवाज का नाम गूंजता था, आज उसी शहर में उनके नाम का एक स्मारक तक नहीं है। आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल शाहनवाज खान आज मेरठ में ही गुमनाम हैं। कोई याद ही नहीं करता रक्षापुरम से आगे एडब्ल्यूएचओ कॉलोनी व ग्राम ऐथल बुजुर्ग जनपद हरिद्वार में जनरल शाहनवाज खान की बहू, पोते और पूरा परिवार रहता है। जनरल खान के बड़े पोते आदिल खान कहते हैं, हमने कई बार सरकार और प्रशासन से कहा कि शहर में जनरल साहब की याद में कोई स्मारक बने, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमने ही 2010 में जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन बनाया। हर साल उनकी बरसी पर जामा मस्जिद के पास मजार पर आयोजन करते हैं। यह दुर्भाग्य और अपमान है उस सपूत का, जिसने आजादी की लड़ाई में अपने कदम नहीं डिगने दिए। नेहरू जी ने स्वयं जनरल साहब को मेरठ से चुनाव लड़ने भेजा था, लेकिन आज शहर उन्हें भुला चुका है। किराए की कोठी लेकर जनरल साहब मेरठ में रहे और चुनाव प्रचार किया।1952 में कुछ ऐसा था परिणाम
लोकसभा क्षेत्र- मेरठ उत्तर पूर्व कुल मतदाता- 3 लाख 94 हजार 599 मत पड़े- 2 लाख 09 हजार 89 प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत शाहनवाज खान- कांग्रेस – 1,25,288 सूरजबल स्वामी- आरआरपी- 36,136
राजसिंह राणा- सोशलिस्ट- 33,081लक्ष्मीशंकर- बीजेएस- 7926बाबूलाल वैश- निर्दलीय- 6658
रावलपिंडी में जन्मे थे जनरल साहब मेजर जनरल शाहनवाज खान का जन्म 24 जनवरी 1914 को रावलपिंडी, पाकिस्तान के मटौर में हुआ था। पिता झंझुआ राजपूत कैप्टन सरदार टीका खान थे। वह 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी नियुक्त हुए। आजाद हिंदुस्तान में लालकिले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर सबसे पहले तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे। लालकिले पर हर शाम होने वाले प्रकाश एवं ध्वनि शो में नेताजी के साथ जनरल शाहनवाज की ही आवाज है। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट लेकर मेरठ से चुनाव जीता। लगातार 1957, 1962 व 1971 में मेरठ सीट से सांसद रहे। 23 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। 1952 में पॉर्लियामेंट्री सेक्रेटी, डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने। 1957-64 तक खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे। शाहनवाज खान ने लंबे समय तक विविध मंत्रालय संभाले और देश को तरक्की का तोहफा बख्शा।